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कितनी सीमित सारी जानकारी मिली  
मन ने भी बार बार टोका 
 किसके
लिए  किसने काम सोपा 
जानने  को  आवश्यक न समझा |
सब कार्यों की 
न जान कारी मिली 
 उसे दूर
रखा गया सब से 
कारण तक न बताया गया 
या उसे धर का सदस्य ना समझा |
यह समस्या तभी उत्पन्न होती 
जब तीन पांच 
का राज्य होता
 सब देते
दोष एक दूसरे को 
 शिकायत
करते आपस में युद्ध करते |
मन का विक्षोभ इतना बढ़ता कि
किसी कार्य में चित्त न लगता 
इसी लिए कहना पड़ता अपना अपना 
काम  करो और
घर जाओ |
घर का माहोल न बिगाड़ो 
आपस में झगड़ने से क्या लाभ होगा 
कभी अवसर भी देखा करो 
तुम बच्चे जैसा न लड़ा करो |
आशा सक्सेना
बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका
हटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
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