30 जनवरी, 2023

प्रभू क्या चाहे

 

 

महक चन्दन की

खुशबू  पुष्पों की   

महक मिट्टी  की

है ईश्वर की भेट |

यही भेट प्रभू को

अर्पित की मैने

हुआ वक्त पर मददगार

बिना किसी बाध्यता के  

वह सच्ची आस्था को

जानता पहचानता है |

श्रद्धा हो उस पर 

 कोई कुछ  नहीं भी मांगे

अपने लिए बिना मांगे

सब प्राप्त होता है |

सच्ची आस्था   

है  आवश्यक  

उसे मनाने को

और कुछ नही चाहिए |

वह खुद ही

जान जाता है

याचक को

क्या चाहिया |

 

आशा सक्सेना

 

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