04 जनवरी, 2023

राह कंटकों से भरी





 कितने भी मार्ग चुने मैंने 

हरबार काँटों से हुआ सामना 

जितना भी बच  कर निकली  

राह रोकने की कोशिश की उन नें |

वे कोशिश में सफल हुए 

मैंने असफलता का मुंह देखा 

जब भी अन्देखा किया उन का 

मुझे ही कष्ट भोगना पड़ा  |

अब भी समझ में कमी रही  

कितनी सतर्कता रखूँ राह खोजने में 

फिर भी जाना तो है अपने गंतव्य तक 

सोच लिया असफलता से क्या डरना |

फिर से कमर कसी कदम आगे बढ़ाए 

जब झलक देखी सफलता की   मन खुशी से झूमा

अपनी सफलता को करीब से देखा 

सारे  कष्ट  भूल गई सपनों में खो गई 

यही बात सीखी उनसे 

यदि हिम्मत हारी कुछ भी हाथ न आएगा 

किसी का क्या जाएगा 

मुझे ही कष्ट होगा 

जिससे समझोता न हो पाएगा |


10 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर रचना ! बहुत बढ़िया !

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  2. आभार रवीन्द्र जी मेरी रचना की सूचना के लिए |नव वर्ष शुभ और मंगल मय हो आप को ||

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  3. आदरणीय मैम ,
    नमस्ते !
    बहुत सुन्दर भाव !
    कृप्या मेरे Blog पधारे ।
    और अपना अनुभव साझा करे !

    जवाब देंहटाएं
  4. धन्यवाद आतिश जी टिप्पणी के लिए |

    जवाब देंहटाएं
  5. धन्यवाद मेरी रचना की सूचना के लिए |

    जवाब देंहटाएं

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