जिस दिन धूप ना निकले
बड़ा अजीब सा लगता है
सुबह से ही बादल छाए हैं
झिमिर झिमिर जल कब बरसे गा | कब मन को राहत देगा दिन भर धूप ना निकलना
जल बरसाने का इरादा होना
मन को बेचैन करता है |
जब मौसम बरसात का होता
उमढ घुमड़ कर बादल आते
आपस में टकराते बिजली कड़कड़ाती
फिर बूंदों का टपकना देखा
बड़ा ही आनंद आया |
बे मौसम बरसने से जल के
फसल खराब हो जाती है
तब मन को बहुत
चोट लगती है |
दिल सोचता है
कैसे मौसम सुधरेगा
आए दिन फ़सलों का बिगड़ना देख
मन को बहुत दुःख होता है |
हम कितने दिन प्रकृति के
नखरे सहेगे
उसके बदलते रंग देखेंगे
कुछ मानव ने संतुलन बर्वाद
किया है
कुछ प्रकृति ने की नाइंसाफी
है |
आशा सक्सेना
बेमौसम बरसात से फसल नष्ट होती है लेकिन यही बरसात अगर समय पर न हो तो उस वजह से भी फसल खराब हो जाती है ! सही वक्त पर समुचित मात्रा में बरसात का होना ही फसल के लिए श्रेयस्कर होता है !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
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