सुगंध आए ना आए
मन पर एक तस्वीर आए ना आए
पर मस्तिष्क मैं उसकी अभिन्न
छवि रहती है
नहीं मालूम जाने क्या क्या कहती है |
मुझे कभी यह भी ना लगा क्या गलत किया मैंने
अभी तक किसी ने जब कुछ कहा
मैंने ठीक से समझा
और आसपास सब को समझाया |
तब ही संतुष्टि हुई मुझ को
मैंने कुछ विशेष नहीं किया
है
अपना कर्तव्य ही किया है |
हम हैं भारत के निवासी
देश के प्रति कोई कर्तव्य
है हमारा
जिसे पूर्ण करना है
कभी पीछे नहीं हटाना है
अपने घर की भी अभिलाशा रही मेरे मन में
उसे दूसरा नम्बर दिया है
मैंने
बाक़ी सब बाद में करना है
यही उपलब्धि है मेरी |
आशा सक्सेना
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंअपना देश है सबसे प्यारा !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए
जवाब देंहटाएं