16 अप्रैल, 2023

काला कागा और काली कोयल


 बैठता 
काला कागला 
घर की दीवार पर 

वह कांव कांव करता सूचना देता

किसी महमान के  आने की  |

ऎसी ही कोयल होती काली 

 पर मीठी तान सुनाती 

सब का मन मोह लेती

 पर बैठती उसी डाली पर

जहां उसका घोंसला होता |

 जब चूजे होने वाले होते

कागा के घोंसले पर कब्जा करती

कोयल चालाक कागा से अधिक

बच्चे उसके भी पल जाते

कागा के बच्चों के संग |

कागा जान ना पाता

चालाकी कोयल की

जब उड़ने जैसे चूजे हो जाते

पंख निकलते ही एक दिन उड़ जाते

घरों दा खाली कर जाते |

कोयल चालाक कागा से अधिक

बच्चे उसके भी पल जाते

कागा के बच्चों के संग |

कागा जान ना पाता चालाकी कोयल की

जब उड़ने जैसे चूजे हो जाते

एक दिन उड़ जाते

घरोंदा खाली कर जाते |

आशा सक्सेना

4 टिप्‍पणियां:

  1. गहन और भावपूर्ण भावाभिव्यक्ति

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  2. धन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |

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  3. कागा नाहक ही बदनाम है ! वह तो मन का भोला है और कोयल तक से छला जाता है !

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