कोरी कापी और नया पैन
रोज लिखने के लिए
टेबल पर रखती पर
पैन ना चलता |
फिर से कोशिश करती
फिर पैन को फैक देती
कोई उसे फिर से टेबल पर रखता
वह ठीक हो जाता |
मालूम ही नहीं पड़ता
अब वह चलने लगा है
यह कैसे हुआ
नहीं जानती |
इन सारे झंझटों में
मूड ही बिगड़ जाता
बार बार फिर कोशिश करती
पर एक लाइन भी नहीं लिख पाती |
अब और अधिक क्रोध आता
आने वाले कल पर छोड़
अनमनी हो हाती |
तीन चार दिन की शान्ति हो जाती
ठन्डे दिमाग से लिखने के लिए
घर में ना उलझती
अब लिख पा रही हूँ |
आवश्यकता है एकांत की
जब लिखूं सही ढंग से
फिर से पढ़ सकूं
यही है मेरा विश्वास मुझे
आगे बढ़ने में व्यवधान नहीं डालता
और संतुष्टि का आभास होता
अपने लेखन से |
आशा सक्सेना
लिखने के लिए चित्त का शांत होना और कक्ष में एकांत होना बहुत आवश्यक होता है !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिपण्णी के लिए |चित्त का शांत होना और मन की शान्ति आवश्यक होती है |
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