तूम को कैसे याद करू मै
तुम तो कभी मेरी सुनते ही
नहीं
जितनी बार की प्रतीक्षा
तुम्हारी
कभी आशीष तक ना दिया तुमने |
मेर्रे मन को ठेस लगी है
तुमने मुझे अपना समझा ही
नहीं
मैंने सबसे अलग तुम्हें
माना
सब से विशिष्ट जाना तुम्हें
|
तुम्हें ही भजा स्तुति की मैंने
सोच लिया तुम ही हो मेरे
जब भी घंटी मंदिर की बजती
मैं दौड़ी चली आती ,पैर नहीं
रुकते मेरे |
तुम राधा के श्याम मीरा के घनश्याम
मैने तुम से स्नेह लिया है
अपना सब अर्पण किया है
अपना अधिकार नहीं बाटूंगी
श्याम तुम मेरे हो मैं हूँ तुम्हारी |
आत्मिक प्यार है मुझे तुमसे
मेरी भक्ती की लाज रखना
सदा साथ रहना मेरे हूँ आश्रित तुम्हारी श्याम
हूँ मैं भक्त तुम्हारी पूरे दिल से |
मेरी जगह और कोई ले
नहीं यह मंजूर मुझे
निगहबानी रखना मेरी |
आशा सक्सेना
अति सुन्दर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद टिप्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएंभक्त और भगवान् की यह नोक झोंक अच्छी लगी !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
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