क्या तुमने सोचा है
मैंने कुछ नया किया है
वह भी तुमसे कहे बिना
उसमें मुझे प्रसन्नता मिली है |
उसने नजदीक किया है तुम्हें मेरे
तुमने मुझे अपने आपसे
खुद को इतना पास किया है
मुझे अपने ऊपर गर्व हुआ है |
झूठे गर्व का मुझे एहसास नहीं है
मेराविश्वास इतना बढ़ा है
मुझे ज़रा भी भय नहीं लगता
सही राह खोजने में गंतव्य तक पहुँचने में |
माना कि मैं हूँ सरल सीधी
पर तुम्हारे बिना अधूरी रहती
तुम बिन एक कदम भी
आगे बढ़ा नहीं सकती |
पूर्ण रूप से निर्भर हूँ तुमपर
मैंने तुम्हें अपना मनमींत समझा है
दिन रात स्वप्नों में खोई रहती हूँ
हर समय तुम पर न्योछावर हुई जाती हूँ |
ईश्वर की श्रद्धा अटूट रही मुझ पर
हर समय आशीष रही मेरे सर पर
मन में आशीष प्रभू का सदा रहा मुझ पर
यही क्या कम है कोई गलत काम नहीं हुआ मुझसे |
मुझे तुम पर है अथाह विश्वास
यह तुम ने भी नहीं सोचा होगा
पर मेरी प्रसन्नता पर तुम्हारी प्रसन्नता पर
गर्व है मुझको जैसे |
आशा सकसना
अति सुन्दर भावपूर्ण रचना !
जवाब देंहटाएं