जीवन है ऐसा , जैसे
उतनी जगह घेरेगी जमीन पर
दायरा समझ का बढ़ेगा |
किसी ने यदि उससे खेला
नाकामयाबी जीवन में हाथ
लगेगी
जिस कार्य में हाथ डालोगे
वह फिसल ही जाएगा हाथों से |
जीवन अंधेरी गलियों में भटकेगा
किसी की सलाह ना चाहेगा तब भी
कभी तो ऐसा लगता है
मेरे जीवन से नियंत्रण हटा है |
कोई नहीं अपना दीखता
तब भी उसी की खोज में
मै खुद भी भटकी
अपने पर दया तक नहीं आई |
चाहती यदि कुछ सीखना
लेना चाहती विनम्रता का साथ
उससे मुंह मोड़ना नहीं चाहती
तभी सफलता मेरे पास आती
धैर्य रखने की आदत सिखाती |
नम्र हुई जब आदत मेरी
यह मेरी समझ आया
मुझे संतोष हो जाता
,यही मुझे प्राप्त होता |
धैर्य ,विनम्रता ,और संतोष
हैं सफल महिलाओं के गहने
सोच समझ कर कार्य करना
है उनमें से एक |
आवश्यकता पड़ने पर सलाह
बुजुर्गों की लेना
उन से ही सफलता मिलेगी
जीवन सफल होगा संतोष मिलेगा |
आशा सक्सेना
धन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के किये |
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ! बढ़िया सृजन !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए
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