16 मई, 2023

जिन्दगी एकतारे जैसी




 मेरी  जिन्दगी एक तारबाध्य सी 

 जब तक बजता एकतारा   बहुत मधुर लगता है

पर जैसे ही तार टूट जाता है

जीवन  भी धोका देता है |

जिस पर नाज सारी दुनिया करती

 यदि रास्ता बदले सड़क टूटी हो

आगे बढ़ नहीं पाते

यही से कठिनाई शुरू हो जाती है |

जितना रास्ता पार करना होता

वही पूर्ण नहीं हो पाता

 तमाम चोटें पैर सहते मन भी आहत होता

खुशी तिरोहित हो जाती है |

जीवन में जब तार जुड़ जाते

तार स्वर में लाए जाते

यही सिलसिला फिर से प्रारम्भ होने लगता

स्वर से स्वर मिलते मधुर धुन सुनाई देती

मन की अशांती फिर गुम हो जाती |

वही मधुर धुन जब कानों में पड़ती

जीवन खुशरंग हो जाता |

आशा सक्सेना

 

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