नाजुक कमनीय दिखती
मन से सुन्दर है
तन से ही सुन्दर नहीं
कमल के फूल सी हो |
दलदल में खिलती
पर ज़रा भी मिट्टी में
लिपटी नहीं होती
यही विशेषता है उसकी |
हर बार सबको
बहुत पसंद आती है
उसकी सुन्दरता है अनमोल
आम पुष्पों से भिन्न |
क्या फ़ायदा उसे तोड़ने मैं
बेजान गुलदस्ते में सजाने में
वह तो डाली पर ही शोभा देती है
यहीं सजी सजाई अनमोल दिखती है|
आशा सक्सेना
सुन्दर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए||
हटाएंबहुत सुन्दर !
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