भरी उड़ान पूरी क्षमता से
किसी की कोई मदद ना चाही
जब उच्चतम स्तरपहुंची
ख़ुशी मिली हम को |
छाछ पी ली फूँक फूँक कर
चाहे दूध ठंडा ही रहा
कल्पना में इसे उबाला है
जब कि यूँ तो ना आ रहा ख्याल मेरा |
यहीहै जिन्दगी का दोहरा रंग
जिससे बच कर चली हूँ
पतंग उड़ाना भी एक कला है
यह तह भूली नहीं हूँ |
किसी नव गीत का सम्मान किया
अपने बुद्धि के कौशल से
या कोई नई विधा से कुछ सीखा है |
नई विधा पर कुछ लिखना
उस पर अपनी कलम चलाना
अपनी ही कोशिश से |
सफलता ने दुलारा हैमुझको
बहुत आशीष दिया है
हूँ आज जिस स्थान पर खड़ी
वह नवाजा गया है मुझे
सम्मान किया गया है |
आशा सक्सेना
सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ओंकार जी |
जवाब देंहटाएंनकारात्मकता से स्वयं भी दूर रहिये और बाकी सबको भी दूर रखिये !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद टिप्पणी के लिए साधना तिप्प्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएं