जब जन्म लिया कान्हां ने
माता की गोद भरी थी
मन में उत्साह जगा था
सब ने बधाई दी मान को
खुशियों से भरी थी
कहीं कमी न थी मेरी रौनक मैं
जी जान से जो मझे मिली थी
सरल सतर्कजीवन जी लिया
कभी रोया कभी खुद
कोड काण्ड किया
यही मेरा बचपन था
जिसका इंतज़ार रहा
यही उसका बचपन मेरा था
आशा सक्सेना
बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंdhanyvaad sadhanaa tippanii ke liyye
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