कितना कष्ट उठाया उसने
तुम्हारे अनुरूप बनने के लिए
तब भी अपने को वह बदल ना सकी
पूरी तरह अनुकूल हो ना सकी|
कभी सोचा ना था
किसी के जीवन में प्रवेश होगा इतना कठिन
होगी कठिन परीक्षा अनुकूलन के लिए
उसका प्रयास सफल होगा या नहीं
यह था किसी कार्य के प्रति समर्पण
जब निष्कर्ष सामने आएगा मालूम पडेगा |
आज तक हार का मुंह नहीं देखा उसने
पर गरूर से रही दूर हर हाल में
इसी लिए आभा है उसके चहरे पर
वह होगी सफल मेरा मन कहता है |
लेखन का भी प्रयास किया उसने
अपने मन को नियंत्रित किया है उसने
जो भी उससे मिला मन मोह लिया उसने
यही मूल मन्त्र याद किया उसने |
है यही सफलता की कुंजी
भली भाँति जान लिया उसने
अब वह पीछे पलट कर नहीं देखेगी
अपनी जीवन कुण्डली सम्हालेगी |
आशा सक्सेना
बहुत बढ़िया !
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