किसी से प्यार करो न करो
पर उसको नहीं भूलो
उसने क्या गलत किया है
है आज की परवरिश उसकी |
उसने संस्कृति को जाना नहीं है
अपने परिवार को पहचाना नहीं है
दुनिया की परछाईं पड़ी उसपर
वह खो गया आज के माहोल में |
मैंने जब भी टोका उसको
उसने एकना सुनी मेरी
मनमानी की हरपल उसने
उसकी मासूमियत पर
बड़ा प्यार आता है
यही भूल हुई मुझसे
उसने गलत किया है
मैं समझाऊंगी उसे \
आशा सक्सेना
किसीको समझने समझाने का समय अब नहीं रहा ! सब अपने मन से ही चलते हैं ! सार्थक चिंतन !
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