रंगरेजवा मेरी रंग दे
चुनरिया
रंग चाहे जो भी दे मन
प्रफुल्लित हो जाए
मैंने कभी कोई रंग ही
ना देखे
जो नयनों को सुन्दर लगे मन
को भाए |
मुझे आवश्यकता है चटक रंग
की चूनर की
आर तेरी भी सहमती चाहिए
जब पहनकर निकालूँ राह में
लोग तरसें देखने को मुझे |
मुझे खुद पर हो गर्व जब
किसी से तुलना हो
मैं निकलूँ रंगीन चूनर पहन जब
कोई उसकी कीमत पूछें
बत्त्ने में जो ख़ुशी मिले
आम जन को ना हांसिल हो |
मेरी अभिलाषा है मुझसा कोई न हो
जब निकालूँ सब देखते ही रह जाएं मुझे
मैंने इसी सफलता पर
सब के मुंह से निकले वाह क्या बात है |
आशा
बहुत सुन्दर अभिलाषा !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद टिप्पणी के लिए
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