21 जून, 2023

है बिंदास मन की


                                                                    है विंदास मन की 

किसी के साथ नहीं है 

अपनी सोच पर है कायम 

अनजान नहीं है |

अपने मन की करने वाली जिद्दी है

 कहना किसी का नहीं मानती

खुद सोचना वही करना 

यही समस्या है  | 

तभी समाज से हुई निष्काषित 

मन माना या नहीं वही जानती 

अपने आप को वही पहचानती 

खुशी की हद  क्या है 

जीवन के रंगों से उसने प्यार किया है |

आशा सक्स्रना 

 

6 टिप्‍पणियां:

  1. है विंदास मन से
    किसी के साथ नहीं है
    अपनी सोच पर है कायम
    अनजान नहीं है ..
    बहुत अच्‍छी रचना

    जवाब देंहटाएं
  2. मन की करने वाले किसी की सुने कैसे...
    सुंदर सृजन।

    जवाब देंहटाएं

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