सागर किनारे
मौसम बहुत प्यारा
जब चलते चलते थकी
जल पीने को हाथ बढाया
खारा पानी एक घूँट ना पी सकी |
प्यासी ही रही एक विचार मन में आया
क्या लाभ ऐसे जल का
जो प्यास तक ना बुझा पाई
जिस का कोई ना लाभ |
पर उसका गुण ना जाना
यही है जल का स्रोत प्रकृति का
बादल आते भाप जल की अपनी बाहों में समेट
सब जगहों में ले उड़ जाते
कभी आपस में टकराते बिजली कड़कती
जल तेजी से बरसता बहुत आनंद आता |
पर एक दिन महा प्रलय आई सारी सीमाएं टूटीं
लोगों में घबराहट बढी जो सागर किनारे रहते
सरकार ने अलर्ट किया बचाव् के लिए
राहत केंद्र खोले |
आशा सक्सेना
सुंदर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 21जून 2023 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबिपरजॉय तूफ़ान का सही चित्रण !
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