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दिन बीता ,शाम आई , रात गई
कहने को कोई काम नहीं किया
फिर
क्या किया
कुछ नया नहीं पर धैर्य रखा |
इसकी महिमा से
कोई अपेक्षा नहीं रखी
फिर भी कर्तव्य करती गई
जो भी सोचा किया पूर्ण रूचि
से किया |
मन मुखरित हुआ ना हुआ
स्वप्न का भी अर्थ नहीं
सूझा
आने वाले स्वप्नों का अर्थ
सार्थक नहीं हुआ
यही अच्छा हुआ ना हुआ |
जीना केवल स्वप्नों में
है क्या न्याय हमारा
अपने मन का किया
किसी ने सही समझाया नहीं
यह तो पता नहीं पर आशय नहीं समझा |
बस एक धैर्य था जिसका दामन
पकड़ा
कभी तो सफलता मिलेगी यही
सोचा
असफलता से सफलता की राह
मिलेगी
यही विशेषता है इस में |
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