19 जून, 2023

भक्ति मेरी


 

श्याम पिया मेरे मन बसिया

मैंने  की तुम्हारी  आरजू

दिन रात तुम्हारा सुमिरन किया

तब भी तुमने मुझ पर कृपा नहीं की |

जैसे ही मंदिर के घंटे बजते

ढोल नगाड़े बजते

होती भक्तों की तैयारी आने की  

मेरे भी कदम बढ़ जाते उस ओर|

जब श्लोक कानों में पड़ते  

मन में हलचल होती

चाल दो गुनी हो जाती

मंदिर पहुँच कर ही कदम ठरते |

तुम्हारे कदमों को छूकर

 ही अपना मन भर् लेती

मुझे और कुछ ना चाहिए

तुम्हारे हाथ हों मेरे सर पर

और आशीष हो  मुझ पर  

मेरा मन कहता

 हो आशीष केवल मुझ पर

और कोई ना हिस्सा बांटे

अपना हिस्सा ही स्वीकार करे |

तुम मेरे हो मेरे ही रहो

 श्याम सलोने और किसी के नहीं

मुझे राधा मीरा  से भी ईर्षा होती  है

और तुम्हारे अन्य भक्तों से |

8 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर अभिव्यक्ति।
    सादर।

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  2. धन्यवाद सुधा देवरानी जी |

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