बागों में झूला डाला उसने
इस मनभावन मौसम में
दिल की जंग में जीता
अपने आनंद को |
जंगल में घूमने का दिल हुआ उसका
चल दिया एक अजनवी सा
उस मार्ग पर जिधर से नदिया बहती है
कलकल ध्वनि शान्ति में बड़ी मधुर लगती
कलाकार मन में छुपा जाग्रत हो उठाता
जीवन जीवंत हो उठता
कभी उदासी का ख्याल तक नहीं आता
यही तो चाहत थी उसकी भी
जीवन खुशियों में जीने की
उदासी नहीं कभीछू पाई
यदि यही पा लिया जीवन में
बहुत कुछ कर लिया उसने|
आशा सक्सेना
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद टिप्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सुधा जी टिप्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएंसार्थक सृजन ! सुन्दर रचना !
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