है आज बालिका दिवस
बड़ी खुशी होती यदि
केवल कागज़ पर न मनाते इसे
जो बड़ी बड़ी बातें करते मंच पर
उनका अमल जीवन में न करते
सही माने में उसे मनाया जाता |
बालिकाओं को केवल दूसरे दर्जे का नागरिक न कहा जाता
उन्हें अपने अधिकारों से वंचित न किया जाता
आज के युग में बड़ी बड़ी बातों को
बहुत विस्तार से प्रस्तुत किया जाता
जब सच में देखा जाता
मन को कष्ट होता यही सब देख
कथनी और करनी में भेद भाव क्यों ?
हमारा प्रारम्भ से ही अनुभब रहा
कितना भेद भाव रहता है
लड़कों और बालिकाओं के लालन पालन में
बहुत दुभांत होती है दौनों में |
हर बार वर्जनाएं सहनी पड़ती है बालिकाओं को
लड़कों को किसी बात पर रोका टोका नहीं
जाता
इसी व्यबहार से मन को बहुत कष्ट होता
है
यदि सामान व्यबहार किया जाता दौनों
में
ऐसे दिवस मनाने न पड़ते |
लोग अपने बच्चों में भेद न करते
सबसे सामान व्यवहार करते
कथनी और करनी में भेद न होता
क्या आवश्यकता रह जाती बालिकाओं के संरक्षण की
वे भी सामान रूप से जीतीं खुल कर |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Your reply here: