08 अक्तूबर, 2023

खोलूँ पाठ शाला अच्छे शब्दों की

अपशब्दों की पाठ शाला खुली है

 राजनीति के क्षेत्र में 

चुनचुन करअप शब्दों का उपयोग किया जाता 

सामान्य होमेल जोल की भाषा  में |

यही दिल को दुखी करता क्या यह शोभा देता है 

पढे लिखे लोगों के भाषा उपयोग में 

कभी सोचना  क्या यही सिखाया जाता है 

झड़ी अपशब्दों की लगे जब दो लोग बात करें 

मैंने तो सोच लिया है एक पाठशाला खोलूँ 

जिसमें पाठ पढाऊँ सभी तरीके

 जो आते हों सभ्यता के दायरे  में 

कुछ तो सुधार हो  बोल चाल की भाषा में

 |लोग सुने पर हँसे नहीं दो बोल ने वालों पर 

यही चाहत है मेरी कोई असभ्य ना खे |


आशा सक्सेना 

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