अपशब्दों की पाठ शाला खुली है
राजनीति के क्षेत्र में
चुनचुन करअप शब्दों का उपयोग किया जाता
सामान्य होमेल जोल की भाषा में |
यही दिल को दुखी करता क्या यह शोभा देता है
पढे लिखे लोगों के भाषा उपयोग में
कभी सोचना क्या यही सिखाया जाता है
झड़ी अपशब्दों की लगे जब दो लोग बात करें
मैंने तो सोच लिया है एक पाठशाला खोलूँ
जिसमें पाठ पढाऊँ सभी तरीके
जो आते हों सभ्यता के दायरे में
कुछ तो सुधार हो बोल चाल की भाषा में
|लोग सुने पर हँसे नहीं दो बोल ने वालों पर
यही चाहत है मेरी कोई असभ्य ना खे |
आशा सक्सेना
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