09 अक्तूबर, 2023

हमने जब सोचा

 

 

  हम ने जब भी सोचा

 सही राह पर  चलने के लिए 

कई व्यवधान मार्ग मेंआए 

किसी ने सही राह ना बतलाई |

मन को बहुत  चोट पहुंची |

फिर सोचा  मेरे ही साथ 

ऐसा हादसा क्यों 

मन से समझोता किया 

सोचा बहुत मनन किया |

किसी बड़े आदमीं ने सलाह देनी चाही 

पर अहम् ने ना स्वीकारा इसे 

यही मैंने मात खाई 

किसी की बात ना मान कर 

हर समय ठोकर ही खाई 

जितनी बार विचार किया

मन में द्रढ़ता जाग्रत हुई 

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