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यह वीरान सा
जीवन
कोई काम नहीं
सूझता
क्या किया
जाए
बिना बात धरती पर बोझ क्यों बना जाए |
बचपन तो अच्छा था
किसी को कोई अपेक्षा ना होती थी
किशोर हुए तब अपेक्षा बढ़ने लगी
यौवन में बोझ तले दवे फिर भी कोई खुश नहीं |
आई शिथिलता जीवन में अब क्या करें
अंत समय अब दूर नहीं
बस एक ही सुख रहा
किसी का कोई कर्ज नहीं |
हरी भजन में हुए व्यस्त
आगे का जीवन कैसा होगा
यह हुई हरी की मर्जी
इसकी चिंता ना रही |
आशा सक्सेना
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