07 अक्तूबर, 2023

क्षणिका

 

 

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यह वीरान सा जीवन

कोई काम नहीं सूझता

क्या किया जाए

बिना बात धरती पर बोझ क्यों बना जाए  |


बचपन तो अच्छा था

 किसी को कोई अपेक्षा ना होती थी 

किशोर हुए तब अपेक्षा बढ़ने लगी 

यौवन में बोझ तले दवे फिर भी कोई खुश नहीं |


आई शिथिलता जीवन में अब क्या करें 

अंत समय अब दूर नहीं 

बस एक ही सुख रहा

 किसी का कोई कर्ज नहीं |


हरी भजन में हुए व्यस्त 

आगे का जीवन कैसा होगा 

यह हुई हरी की मर्जी 

इसकी चिंता ना रही |


आशा सक्सेना 

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