कितना जीवन है शेष
कोई न जान सका
कोशिश मैंने भी की
पर सफल न हो पाई |
काम कितने पसारे जाएं
इसका भी अंदाज नहीं
यदि पहले ही आत्मा ने
चोला छोड़ा तब क्या होगा |
किसी ने नहीं बताया कब बुलावा आएगा
चाहे कितना भी बड़ा पंडित हो
तभी कहा जाता इतने ही काम पसारो
जो पूरे किये जा सकें अधूरे कार्य न रहें |
तभी शान्ति से मुक्ति होगी
मेरे मन में संतुष्टि होगी
यह आत्मा नहीं भटकेगी
जीवन सफल हो पाएगा |
आशा सक्सेना
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Your reply here: