है स्वागत आगत गणनायक का
बहुत समय प्रतीक्षा करवाई
तब जाकर दिए दर्शन अबकी
सोचा समझा दुःख दर्द प्रजा का
फिर की तैयारी जाने की
अभी अभी तो आए थे
स्थापना की थी मंदिर में
इतनी जल्दी क्या है जाने की
स्थापना की थी मंदिर में
इतनी जल्दी क्या है जाने की
सारे दुःख समेत चल दिए
मन में व्यथा लिए सब की
जल में समाधिस्थ हो रहे
मन की शान्ति जल में खोज रहे
अनंत चौदस को है बिदाई
सुख करता दुःख हरता की
बहुत खालीपन लगेगा
आसन रिक्त देख तुम्हारा
फिर से प्रारम्भ होगा वाट जोहना
अगले बरस बप्पा के आगमन का |
आशा