जब बांह थामी थी मेरी
वादा किया था साथ निभाने का
जन्म जन्मान्तर का साथ अधूरा क्यों छोड़ा?
आशा न थी मध्य मार्ग में बिछुड़ने की
उस वादे का क्या जो जन्म जन्मान्तर तक
साथ निभाने का किया था
जब किया वादा सात वचनों का
मुझे अधर में छोड़ा और विदा हुए
यह भी न सोचा कि मेरा क्या होगा `
जीवन की कठिन डगर एक साथ पार की
जब सारी जुम्मेदारी मिलकर झेली
फिर जीवन से क्यूँ घबराए
मुझे भी तो संबल की आवश्यकता थी तुम्हारी
यह तुम कैसे भूले न कुछ कहा न सुना
मेरे मन को झटका लगा यह क्यूं भूले
अकेली मुझे मझधार में छोड़ दिया
जाते तब पता अपना तो बता जाते
मैं भी तुम्हारे पीछे आ जाती
बाधाओं से न घबराती
आशा लता सक्सेना
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