डाल दिया स्नेह उसमें
बिन बाती स्नेह रह न पाया
अस्तित्व अपना खोज न पाया दीपक में |
जब माचिस जलाई पास जाकर
बाती ने लौ पकड़ी स्नेह पा
वायु बाधा बनी लौ कपकपा कर सहमी
पर अवरोध पैदा न कर पाई |
आत्म विश्वास था इतना प्रवल लौ में
कभी डिगने का नाम न लिया
ना हारी की लड़ाई बहुत शिद्दत से
दीपक की हिम्मत बढ़ाई स्नेह ने |
एक प्रश्न फिर भी उठा मन में
क्या किसी साधन की कमी से
दीपक जल पाएगा कभी
आवश्यक संसाधन बने हाथ उसके |
सब ने बराबर से सहयोग किया
दीपक के हाथों को मजबूत किया
यही सौहाद्र बना सफलता का कारक
दीपक न डरा वायु के बेग से|
वायु की उपस्थिती में लौ का नृत्य देख
हुआ नाज स्वयं पर और
अपने सह्योगिओं के सहयोग पर |
आशा