शिक्षा एक सतत प्रक्रिया है जो जीवन पर्यंत चलती रहती है |पूरे जीवनकाल में न जाने कितने लोगों से हम कुछ न कुछ सीखते हैं |शिक्षक एक मार्ग दर्शक होता है जो विद्यार्थी को अंधकार से प्रकाश की और ले जाता है |
वह एक ऐसी मशाल है जो जल कर अन्य सब का पथ प्रदर्शन करती है |शिक्षक यदि विद्वान हो और व्यक्तित्व का धनी हो तो अपना ऐसा प्रभाव छोड़ता है कि उसे जीवन पर्यंत भुलाया नहीं जा सकता |
शिक्षक तो जन्म जात होता है जो दुनिया के प्रलोभनों से दूर रह करखुद शिक्षा ग्रहण करता है तथा मुक्त हस्त से
दूसरों को बांटता है |इसे ही अपना लक्ष्य और कर्तव्य मान कर संतुष्ट होता है |शिक्षा का व्यवसाईकरण
करने वाले लोग शिक्षक नहीं हैं केवल व्यवसाई हैं |अच्छा शिक्षक सदा याद किया जाता है |
लीजिए हार्दिक शुभ कामनाएं आज शिक्षक दिवस पर :-
कुछ पंक्तियाँ देखिये शायद अच्छी लगे |
महाकाल की नगरी उज्जैनी
राजा विक्रम की उज्जैनी
द्वापर में थी शिक्षा स्थली
कृष्ण और सुदामा की |
दूर दूर से बच्चे आते थे
गुरु कुल में रह शिक्षा पाते थे
आश्रम था गुरु सांदीपनी का
था नहीं भेद भाव जहां |
ऊच नीच और गरीब अमीर में
अंतर कहीं नहीं दीखता था
था सद भाव और प्रेम इतना
मिल जुल कर रहते थे सब |
लिखते थे जिस पट्टिका पर
धोते थे उसे तलैया में
वह क्षेत्र आज भी
अंक पात कहलाता है
द्वापर की याद दिलाता है |
आशा
वह एक ऐसी मशाल है जो जल कर अन्य सब का पथ प्रदर्शन करती है |शिक्षक यदि विद्वान हो और व्यक्तित्व का धनी हो तो अपना ऐसा प्रभाव छोड़ता है कि उसे जीवन पर्यंत भुलाया नहीं जा सकता |
शिक्षक तो जन्म जात होता है जो दुनिया के प्रलोभनों से दूर रह करखुद शिक्षा ग्रहण करता है तथा मुक्त हस्त से
दूसरों को बांटता है |इसे ही अपना लक्ष्य और कर्तव्य मान कर संतुष्ट होता है |शिक्षा का व्यवसाईकरण
करने वाले लोग शिक्षक नहीं हैं केवल व्यवसाई हैं |अच्छा शिक्षक सदा याद किया जाता है |
लीजिए हार्दिक शुभ कामनाएं आज शिक्षक दिवस पर :-
कुछ पंक्तियाँ देखिये शायद अच्छी लगे |
महाकाल की नगरी उज्जैनी
राजा विक्रम की उज्जैनी
द्वापर में थी शिक्षा स्थली
कृष्ण और सुदामा की |
दूर दूर से बच्चे आते थे
गुरु कुल में रह शिक्षा पाते थे
आश्रम था गुरु सांदीपनी का
था नहीं भेद भाव जहां |
ऊच नीच और गरीब अमीर में
अंतर कहीं नहीं दीखता था
था सद भाव और प्रेम इतना
मिल जुल कर रहते थे सब |
लिखते थे जिस पट्टिका पर
धोते थे उसे तलैया में
वह क्षेत्र आज भी
अंक पात कहलाता है
द्वापर की याद दिलाता है |
आशा