यादों में बस गया है
वह दूर नहीं जाता
तन्हाइयों में आकर
मुझे रोज सताता
यादों से है उसका
इतना गहरा नाता
भूखे पेट रह कर भी
कोई शौक नया
वह नहीं पालता
जज्बातों से घिरा वह
है जिनसे उसका गहरा नाता
यही कमजोरी उसे
देती है मात सदा
ना तो जीने देती है
ना ही जुगाड़ कफन का होता
सब कुछ यादों में
सिमट कर रह जाता
एक विचार मन में आता
है क्या वह मेरे लिए
एक स्वप्न या कल्पना
है उसका अस्तित्व क्या ?
मेरे निजि जीवन में |
आशा