हो तुम अनोखे शिल्पी
एक से एक मूर्तियाँ
बनाते
प्राण प्रतिष्ठा
उनमें करते
लगता है ऐसा जैसे
हो जीवंत
अभी हलचल में आएंगी
मन में उनके है क्या
मुखरित हो बयान
करेंगी
यूँ तो नयन और
लव रहते मौन सदा
हरपल ऐसा लगता है
सीपी सम्पुट खोलेगी
शब्दों का स्त्राव
करेगी
भावनाओं में बह कर
अभी बोल पड़ेगी
चंचल चितवन से मन को
मोहे लेगी ऐसा जैसे
जन्नत की सैर करा
देगी
हर रंग जो तुमने
चुना है
सदाबहार लगता है
उससे सजाए परिधान
बड़े सुहाने लगते हैं
दिल चाहता है बस
एकटक निहारते ही रहें
मन में बसा लें
उन्हें |
आशा
आशा