18 अप्रैल, 2020

बाल कथा





एक बाल कथा –
एक चिड़िया अकेली डाल पर बैठी थी |इन्तजार कर रही थी कब चिड़ा आए और दाना लाए |बहुत समय हो गया वह अभी तक  नहीं आया |अब चिड़िया को चिंता होने लगी |बुरे ख्यालों ने मन को घेरा |न जाने दाने की तलाश में वह कहाँ भटक रहा होगा |किसी बड़े पक्षी ने हमला तो न कर दिया होगा |अचानक एक भजन उसे याद आया
“वह जमाने से क्यूँ डरे जिसके सर पर हाथ प्रभू का”|
फिर थोड़ी देर मन बहलाया अपने बच्चों से मन का हाल बताया |पर फिर से बेचैन होने लगी |वह बार बार ईश्वर को याद करती थी और अपने पति  की कुशलता की फरियाद भगवान से करती थी |तभी देखा वह दूर से आ रहा था |दाना नहीं मिला था |चिड़िया ने सोचा दाना नहीं मिला तो क्या हुआ कल के दाने से गुजारा चला लेंगे |ईश्वर की यही कृपा बहुत है की मुसीबतों  से बचता बचाता वह यहां तक आ तो गया |किसी ने सच कहा है विपरीत परिस्थितियों में ईश्वर ही याद आता है वही सच्चा मददगार होता है |
|आशा

16 अप्रैल, 2020

क्या चाहिए ?




 


न चाँद चाहिए, न सूरज चाहिए ,
चमक के लिए आसमान में  सितारे बहुत है |
शाम के धुधलके  में रात की अन्धकार में   
 रौशनी के लिए जुगनुओं की चमक बहुत है |
द्वार पर  टिमटिमाता  दिया ,घर में लालटेन का  प्रकाश.
 गाँव में रौशनी का यही  सहारा बहुत है |
नहीं चाहिए बिजली,सडकों पर चमचमाती रौशनी
 मन में प्रकाश के लिए बुद्धि का सहारा  बहुत  है |
 शिकवा शिकायत किस लिए , सीधी राह पर  न चलने के लिए,
  बिना बात उलझने का बहाना ही बहुत है |
  अपनों से कैसा  पर्दा, गैरों से मनुहार कैसी   ,
रूठना मनाना किस  लिए प्यार का इजहार बहुत है|
आसमान में उड़ते  परिंदे  गीत गुनगुनाती चिड़िया
स्वतंत्रता के एहसास के लिए अच्छे मौसम का हवाला बहुत है |
आशा



15 अप्रैल, 2020

सड़कें है सूनी सूनी





सड़कें हैं सूनी सूनी
 काल चक्र थम सा गया है
किसी ने कहा
सारा देश  सो रहा है
पर यह  सच्चाई  नहीं है 
बाहरी कार्य हुए स्थगित तो क्या
अब तो समय मिला है
 बहुत कुछ सोचने का
पहले तो कहते थे 
समय कम  पड़ जाता है
आवश्यक कार्य ही  
 मुश्किल से हो पाते हैं
यदि कोई अतिरिक्त काम 
सामने आ जाए
 भार सा लगने लगता था 
पर अब अवकाश मिला  है
 कुछ नया सोचने का  
 नवीन सृजन करने का  
यूँ सोचो तो  व्यर्थ लगेगा
 धर में पड़े रहना  
पर सोचा जाए तो यह 
कितना बड़ा कार्य  हैं
कोरोना महामारी से 
दो चार हाथ करके
घर में रह कर
 वृद्धों की देख रेख करना
सामाजिक अंतर रख कर 
मुंह को मास्क से ढक कर
 बारम्बार हस्त  धो कर
 महामारी से बचे रहना
यही है सच्ची भक्ति
 अपने देश वासियों के  प्रति 
कर्तव्य निष्ठा सरकार के प्रति|
                                             आशा