मेरी कलम की स्याही
सूख गई है
क्या यह कोई अजूबा है
?
नहीं यह एक तजुर्बा
है
जब मन ना हो कुछ
लिखने का
अपने विचार व्यक्त
करने का
तब कोई तो बहाना
चाहिये
मन में आए इस विराम
को
किसी का तो उलाहना चाहिए
कलम के रुक जाने से
विचारों के पैमाने से
स्याही छलक नहीं पाती
अभिव्यक्ति हो नहीं
पाती
जब कुछ विश्राम मिल
जाता है
फिर से ख्यालों का
भूचाल आता है
कलम को स्याही में
डुबोने का
जैसे ही ख्याल आता है
विचारों का सैलाब
उमड़ता है
गति अविराम हो जाती
है
कलम में गति आ जाती
है
सारे दरवाजे खोल जाती
है
कलम जिसके हाथ में
होती है
वैसी ही हो जाती है
साहित्यकार रचना
लिखता है
न्यायाधीश फैसला
साहित्यकार सराहा
जाता है
कलम का महत्व जानता
है
पर एक कलम ऐसी भी है
फाँसी की सजा देने के
बाद
जिसकी निब तोड़ दी
जाती है
अनगिनत विचार मन में
आते हैं
फिर से लिखने को
प्रेरित करते हैं !
आशा