प्यारा था पहले कितना ,लोक लुभावन वेश ||
साथ समय के बदल गया ,रूप रंग वह तेज |
शरीर ढांचा रह गया ,चेहरा हुआ निस्तेज ||
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सह रही झूमाझटकी ,व अपशब्दों के वार |
कटुता मन में विष भरे ,कोई नहीं उदार ||
नाते रिश्ते भूल चली ,मूढ़ मती सी होय |
भूल गयी अपनी क्षमता ,रही अपाहिज होय ||
चुटकी भर सिन्दूर का ,मर्म न जाने कोय |
चिंता से तन मन जला बचा न पाया कोय ||
आसमान तक धुआ उठा ,रोक न पाया कोय |
ऊंची लपटें आग की ,देखत ही भय होय ||
भीड़ जो पहले उमढ़ी,कमतर होती जाए |
कौन पड़े चक्कर में ,निश्प्रह होती जाए ||
सास ससुर देवर बढ़े ,चढे पुलिस की बेन |
फूट फूट कर रो रहे बच्चे बड़े बेचैन ||
हुआ भयंकर हादसा ,कर जाता बेचैन |
अमानवीयता इतनी ,क्या समाज की देन ||
आशा
आशा