है आज सूनी कलाई
बहिन तू क्यूँ नहीं आई
कितना प्यार किया तुझको
फिर भी भूल गयी मुझको |
किस बात पर रूठी है
बताया तो होता
मैं सर के बल चला आता
तुझे लेने के लिए |
तेरी ममता की डोर
इतनी कच्ची होगी
कभी सोचा नहीं था
तेरे बिना है त्यौहार अधूरा
कभी सोचा तो होता |
नहीं चाह फल मिठाई की
ना ही भेट उपहार की
तेरी स्नेह भरी एक
निगाह ही काफी है मेरे लिए |
छोटा हूँ सदा छोटा ही रहूँगा
तुझसे अलग ना जी पाऊंगा
केवल प्यार की है दरकार
वही है नियामत मेरे लिए |
आशा