29 दिसंबर, 2013
27 दिसंबर, 2013
हाइकू (४)
प्यार का इज़हार
या उपकार |
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उपकार का
यदि सिलसीला हो
कृपण न हो
(२)
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उपकार का
यदि सिलसीला हो
कृपण न हो
(२)
पहली बारिश सी
सूखा न रहा |
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रहा अधूरा
जीवन तेरे बिन
सूना ही रहा
(३)
बेरंग तेरे बिना
कुछ भाए ना |
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भाए ना यह
रंग भरी ठिठोली
तुम आजाना |
(4)
बिखरी यादें
समेटने की चाह
है गलत क्या|
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क्या बिगड़ता
यदि समझी होती
मन की बात |
(५)
कठिन राह
पहुँच न पाऊंगा
हो चाँद तुम |
(५)
बहती जाती
नौका मझधार में
हो पार कैसे |
(4)
बिखरी यादें
समेटने की चाह
है गलत क्या|
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क्या बिगड़ता
यदि समझी होती
मन की बात |
(५)
कठिन राह
पहुँच न पाऊंगा
हो चाँद तुम |
(५)
बहती जाती
नौका मझधार में
हो पार कैसे |
बहता जल
है तरंगित मन
हरीतिमा सा |
आशा
है तरंगित मन
हरीतिमा सा |
आशा
25 दिसंबर, 2013
गुणों की टोकरी
वह नाजुक नन्ही कली
लगती गुणों की टोकरी
हर पुष्प जिसका
सुरभि चहु दिश फैलाता
है किसकी सुगंध अधिक
मन सोच नहीं पाता
और विशिष्ट उसे बनाता |
माता पिता उसे सवारते
विकास में सहयोग करते
रूप रंग गुणों का
बखान करते नहीं थकते |
जो भी संपर्क में आता
बिना कहे न रह पाता
हैं कितने भाग्यशाली
ऐसी सुशीला को पाया
है धन्य उसकी जननी
गुण संपन्न उसे बनाया
जिस घर की वह शोभा होगी
बड़े
जतन से सहेजेगा
फूलों की टोकरी को
बिखरने नहीं देगा |
आशा |
22 दिसंबर, 2013
21 दिसंबर, 2013
19 दिसंबर, 2013
यह क्या हुआ
हरे भरे इस वृक्ष को
यह क्या हुआ
पत्ते सारे झरने लगे
सूनी होती डालियाँ |
अपने आप कुछ पत्ते
पीले भूरे हो जाते
हल्की सी हवा भी
सहन न कर पाते झर जाते
डालियों से बिछुड़ जाते |
डालें दीखती सूनी सूनी
उनके बिना
जैसे लगती खाली कलाई
चूड़ियों बिना |
अब दीखने लगा
पतझड़ का असर
मन पर भी
तुम बिन |
यह उपज मन की नहीं
सत्य झुटला नहीं पाती
उसे रोक भी
नहीं पाती |
बस सोचती रहती
कब जाएगा पतझड़
नव किशलय आएँगे
लौटेगा बैभव इस वृक्ष का |
हरी भरी बगिया होगी
और लौटोगे तुम
उसी के साथ
मेरे सूने जीवन में |
आशा
18 दिसंबर, 2013
हाइकू (२)
(१)
सपने कभी
नही होते अपने
हरते चैन |
(२)
की मनमानी
उलझी सपनों की
दीवानगी में |.
(३)
बड़ों की सीख
सपने कभी
नही होते अपने
हरते चैन |
(२)
की मनमानी
उलझी सपनों की
दीवानगी में |.
(३)
बड़ों की सीख
मान स्वप्न दीवानी
मैं मैं न रही |
(4)
चेहरा तेरा
दर्प से चमकता
सच्चे मोती सा |
(५)
रिश्ता प्यार का
निभाना है कठिन
आज ही जाना |
(६)
यूं न देखते
सोचते समझते
तुझे निभाते |
(७)
किया अर्पण
पूरा जीवन तुझे
तूने जाना ना |
आशा
(4)
चेहरा तेरा
दर्प से चमकता
सच्चे मोती सा |
(५)
रिश्ता प्यार का
निभाना है कठिन
आज ही जाना |
(६)
यूं न देखते
सोचते समझते
तुझे निभाते |
(७)
किया अर्पण
पूरा जीवन तुझे
तूने जाना ना |
आशा
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