देते दस्तक दरवाजे पर
अचानक आते परिवर्तन
कई घर जल मग्न|
संकेत किसी आपदा का
पूर्वाभास गहरी क्षति का
एकाएक अनहोनी घटती
प्रकृति विद्रोह का आगाज़ करती |
चाहे सुनामी या हो हुद हुद
या हो कहर ग्लेशियर का
बारिश का या बाढ़ का
सारा अमन चैन हर लेता |
तिनका तिनका जोड़ जोड़ कर
घर संसार बसाए गए थे
क्षण भर में हो ध्वस्त
जाने कितनो को विछोह देते |
नयनों का रिसाव न थमता
फिर भी कोई हल न निकलता
क्रूर प्रहार प्रकृति का
विषधर सर्प सा होता
पानी तक पीने न देता |
कितनी भी मदद मिले
मन पर लगे घाव
भरने का नाम नहीं लेते
सदा हरे बने रहते |
आशा
या हो कहर ग्लेशियर का
बारिश का या बाढ़ का
सारा अमन चैन हर लेता |
तिनका तिनका जोड़ जोड़ कर
घर संसार बसाए गए थे
क्षण भर में हो ध्वस्त
जाने कितनो को विछोह देते |
नयनों का रिसाव न थमता
फिर भी कोई हल न निकलता
क्रूर प्रहार प्रकृति का
विषधर सर्प सा होता
पानी तक पीने न देता |
कितनी भी मदद मिले
मन पर लगे घाव
भरने का नाम नहीं लेते
सदा हरे बने रहते |
आशा