03 मई, 2016

दामिनी (हाईकू )


१-बरसात में
दमकती दामिनी 
 कहर ढाए |
२-
 बहती नदी 
स्वेत सर्पिणी लगे
हरियाली में |
३-
मरूस्थल में 
जल का स्त्रोत दिखा
काली रात में |
४- 
सूखी पहाड़ी 
 बरसात  की आस
घोर गर्जन |
५-
आसमान में
बादल टकराते
बूंदे आ गईं |
६-
काली घटाएं
दमकती दामिनी
वर्षा की आस |
७-

 वे टकराए 
गर्जन उनका था 
गिरी बिजली |
८-
 दो थे बादल 
 टकराए दोनो ही 
चमकी वह |
 
आशा


01 मई, 2016

है आज मजदूर दिवस

परिश्रम करता मजदूर के लिए चित्र परिणाम
है आज मजदूर दिवस 
क्यूं न पूरी मजदूरी दें
श्रमिक का दिल न दुखाएं
श्रमिक को सम्मान दें |
वह दिन भर खटता रहता
जो कुछ पाता घर चलाता
काम न मिले तो झुंझलाता
सोचता आज चूल्हा कैसे जले |
असंतोष उसे मधुशाला ले जाता
कुटेव का आदी हो जाया
दरिद्र देवता देख लेता घर
वहीं अपने पैर जमाता |
आएदिन झगड़े फसाद
ढाने लगते क़यामत
सारा जीवन यूं ही गुजरता
अभावमय जीवन होजाता |
समस्या है बहुत विकट
कोई हल न निकला आज तक
आज हम प्रण लें
किसी का हक न मारें
पूरी मजदूरी देंगे
मजदूर का सम्मान करेंगे  |
आशा

30 अप्रैल, 2016

तन्हाई

28 अप्रैल, 2016

चंद विचार बिखरे बिखरे

धीरज धरती सा के लिए चित्र परिणाम

बेचैन न हो धर धीरज धरा की तरह
सब कष्ट सहन करना धरती की तरह
गुण सहनशीलता का होगा विकसित
महक जिसकी होगी हरीतिमा की तरह |

दीन  दुनिया से है दूर तो क्या
अंतस की आवाज तो सुन सकता है
उस पर ही यदि अडिग रहा
उसका ही अनुकरण किया
तब आत्म विश्वास जाग्रत होगा
वही सफलता की कुंजी होगा |
ममता माता पिता की के लिए चित्र परिणाम
मां की ममता पिता का दुलार
है अद्भुद ममता का संसार
हूँ बहुत भाग्यशाली देखो ना
भरपूर पाया मैंने दौनों का ही प्यार |

अरे मूर्ख मां की शक्ति को जान
अरे नादान  भक्ति की शक्ति को पहचान
जाने कब मां प्रसन्न हो तुझ पर
निर्मल मन से उसे ही अपना मान |

क्यारी फूलों की के लिए चित्र परिणाम
हूँ उदास कि गम से की है यारी
पर मनवा वहां  हो जाता भारी
जो  आती सुगंध मंद मलय के संग
वही क्यारी हो जाती प्यारी |

विरासत अपनी भूले आज भी परतंत्र हैं
कोई परिवर्तन नहीं भीड़ में फंसे हैं
शासन भीअसफल रहा उसे सहेजाने में
कर्तव्य बोध सुप्त ही रहा अधिकार मांग रहे हैं |

आशा








शा

26 अप्रैल, 2016

हम किसी से कम नहीं


कथनी और करनी में,
 कभी भेद न करेंगे
जो भी कहेंगे,
कर के दिखा देंगे
धरती से जुड़े हैं ,
जुड़े ही रहेंगे
चिंदी यदि मिली ,
बजाज न बनेंगे
हर हाल में हम ,
सदा प्रसन्न ही रहेंगे
कुछ आये या ना आये ,
कोशिश तो करेंगे
असंभव कुछ नहीं है ,
पीछे न हटेंगे
परचम सफलता का ,
फैला कर दम लेंगे
सफलता कदम चूमेंगी ,
हम आगे बढ़ेंगे
हम किसी से कम नहीं ,
जता कर ही रहेंगे |
आशा

25 अप्रैल, 2016

हाईकू ही हाईकू


१-
श्वेत वसन
तेरे मां सरस्वती
हो मन शांत |
२-
हरा रंग है
सम्रद्ध धरणी का
कृषक खुश |
३-
भगुआ रंग
छू रहा आसमान
कुम्भ क्षेत्र में |


४-

रवि प्रखर 

झुलसा तन मन 

मन उदास |
५ -
है एक नैया 
/अकेला है खिवैया 
/नैया डोले ना |
६-
ढलता सूर्य 
 रंग हुआ सिंदूरी
जल में दिखा |

७-

 एकांत पल 
तेरी छाया जल में 
प्यारी सी लगे |
८ - 
 हुआ अकेला 
केवल साथ तेरा
अच्छा लगता |
९-
शाम हो गई 
छाया तेरी डूबती 
जल रहा मैं |
१0-                                                                                                                                                                                                                                                                                                                   
बहता जल 
संध्या का नजारा 
कहे रुक जा |
१२-
उमसबढ़ी
वारिद छितराए 
चल जल्दी से |
१३-
मेरे बचवा 
ढलने को है शाम 
कदम बढ़ा 
आशा
 

24 अप्रैल, 2016

कृषक



सूखा खेत
फसल कट गई
थका कृषक ताक रहा
अपने आशियाने को
कच्चा छोटा सा टापरा
खिड़की पर लटकता
फटा परदा
उसमें से कोई झाँक रहा
यहाँ वहां फिरते कुटकुट
अपनी उपस्थिति दर्ज कराते
बच्चे देख देख मुस्काते
द्वारे पर मूंज की मचिया
महमानों के लिए बिछाई
दरी उस पर डाली ऐसे
सोफे का कवर हो जैसे
मधुर आवाज कोयल की
जब तब सुनाई देती
आगाज होने लगता
अमवा पे आए बौर का
मुंह पर हलकी सी
चमक आजाती
कैरियों को बेच कर
कुछ तो पैसे मिले जाएंगे
यही सोच विचार में डूबा
वह देखता उस पेड़ को
आर्थिक रूप से कमजोर
पर मन का धन है उसके पास
है कृषक आशा पर जीता है
ऐसे ही खुश हो लेता है
आशा