हुआ प्रभात कुछ ऐसा
हर व्यक्ति रावण हुआ
दस शीश सब में हैं
कुछ सद्बुद्धि से प्रेरित
कुछ दुर्बुद्धि में लिप्त
जब जिसका प्रभाव ज्यादह
वैसा ही कर्मों का बोलबाला
मद, मत्सर, माया में लिप्त
अनुचित कार्य करने में प्रवीण
आधुनिक रावण घूमते यहाँ वहाँ
समाज पर तीखा वार करने से
वे नहीं चूकते हर बार
इस वर्ष भी रावण दहन
बुराइयों पर विजय पाने की कोशिश में
बड़े जोश से किया गया दशानन दहन
पर हुआ कितना कारगर
एक रावण नष्ट हुआ तभी
अन्य का हुआ जन्म
रावणों की संख्या बढ़ रही
दिन दूनी रात चौगुनी
अनाचार ने सर उठाया
अधिक बदतर आलम हुआ !
आशा सक्सेना