17 जनवरी, 2018
16 जनवरी, 2018
अलाव
सर्द हवाओं के झोंकों से
ठण्ड बढ़ी ठिठुरते लोग
सड़क पार तम्बू में ठहरे
ठण्ड बढ़ी ठिठुरते लोग
सड़क पार तम्बू में ठहरे
फटे बिस्तर में दुबके लोग
पर बच्चों की चंचल वृत्ति
खींच लाई उन्हें सड़क पर
जल्दी-जल्दी निकालीं
छोटी-छोटी लकड़ियाँ
छोटी-छोटी लकड़ियाँ
पोलीथीन में रखी सूखी पत्तियाँ
माचिस जलाई आग लगाई
की बहुत मशक्कत अलाव जलाने में
धीरे-धीरे सुलगा अलाव
धुआँ उठा लौ निकली
चमकने लगे सुलगते अंगारे
और बढ़ने लगी थोड़ी-थोड़ी गर्मी
आ गयी चेहरों पर सुर्खी
बच्चों के प्रयत्नों की !
जब आई बच्चों की आवाज़
झाँक कर बाहर देखा
फेंकी चादर निकले बाहर
देख कर जलता अलाव !
हुआ गर्व बालकों पर
उनकी सूझ बूझ से
कुछ तो राहत पाई
कुछ तो राहत पाई
आते जाते हाथ सेंकते
सड़क पर चलते लोग
और बढ़ जाती बच्चों की
आँखों में चमक और अधरों पर मुस्कान !
आशा सक्सेना
14 जनवरी, 2018
क्षणिकाएं
आपने अफसाना अपना सुनाया
सभी के दिलों को बहकाया
जब अपने पास बुलाया
कुछ पलों को थमता सा पाया
आपके शब्दों की कसक
कानों में गूंजती रही वर्षों तक !
दीप जलाया मन मंदिर में
हवा के झोंके सह न सका
था बुझने के कगार पर
अंतर्वेदना तक प्रगट न कर पाया
कसमसाया भभका और बुझ गया |
नीला समुन्दर नीला आसमान
धरती बहुरंगी इंद्र धनुष समान
आशा उपजती इसे निहारने की
समस्त रंग जीवन में उतारने की |
नीला समुन्दर नीला आसमान
धरती बहुरंगी इंद्र धनुष समान
आशा उपजती इसे निहारने की
समस्त रंग जीवन में उतारने की |
जाने कहाँ से विचार आते हैं
मुझ से टकरा कर चले जाते हैं
न जाने क्या है मुझसे वैर उनका
न जाने की खबर देते हैंन आने कीआहट
बस मन के तार छेड़ जाते हैं |...
बेचैन न हो धर धीर धरा की तरह
सब कष्ट सहन करमना धरणी की तरह
गुण सहनशीलता का होगा विकसित
महक जिसकी होगी हरीतिमा कि तरह |
न जाने क्या है मुझसे वैर उनका
न जाने की खबर देते हैंन आने कीआहट
बस मन के तार छेड़ जाते हैं |...
बेचैन न हो धर धीर धरा की तरह
सब कष्ट सहन करमना धरणी की तरह
गुण सहनशीलता का होगा विकसित
महक जिसकी होगी हरीतिमा कि तरह |
आशा
09 जनवरी, 2018
सकारात्मक सोच
केवल अधिकारों की देते हैं जानकारी
पर कर्तव्यविहीन हो रही सोच हमारी
खुल कर बोलना है अधिकार हमारा
कब बोलना, कहाँ बोलना व विवादों को
देना निमंत्रण क्या दुरुपयोग नहीं !
हँसना हँसाना लगता तो है भला
पर कटु भाषण और व्यंगाबाण
मन पर करते प्रहार
संतुलित आचरण रहा तो रिश्ते संवरें
पर बिना बात के ताने
मन की सुख शान्ति हर ले जाएँ
है यह स्वयं का विवेक
हम किस मार्ग पर जाएँ
कहीं संस्कारविहीन नहीं हुए हों
अच्छी सोच हो खिले पुष्पों की तरह
जो खुद तो महके ही अपने
आस पास को भी चमन बना दे
खुशबू दिग्दिगंत तक जाए !
आशा सक्सेना
04 जनवरी, 2018
एक वादा खुद से
है वादा अपने आप से
इस वर्ष के लिए
है यह पहला वादा
शायद यह तो पूरा
कर ही सकते हैं !
अधिक की अपेक्षा नहीं की
आज तक कभी
ज़िंदगी की आख़िरी साँस तक !
यह कुछ कठिन तो नहीं !
बस खुद पर संयम ही
काफी है इसके लिए !
नया कभी चाहा ही नहीं !
मन पर नियंत्रण से
निकाल दो नकारात्मक
विचारों को
फिर देखो प्रभाव मन पर !
आशा सक्सेना
31 दिसंबर, 2017
हे नव वर्ष तुम्हारा स्वागत है !
हे नव वर्ष
तुम्हारा स्वागत मेरे दर पर
कबसे राह तुम्हारी जोह रही
बहुत स्नेह से आज को विदा किया है
अब आई तुम्हारे स्वागत की बारी
प्रथम करण आदित्य की
बैठी पलक पसारे
तुम्हारी बाट निहारे
ओस कणों से पैर पखारे
कोमल कोंपल वृक्ष वृन्द संग
पलक पांवड़े बिछाए
तन मन धन से करे स्वागत
तुम्हें विशेष बनाए
सारा साल खुशियों से भरा हो
भाईचारा आपस में रहे
यही मेरा मन कहे
सुख सम्पदा भरपूर रहे
पूरी श्रद्धा से सम्पूर्ण वर्ष
प्रसन्नता से भर जाए !
नव वर्ष की आप सभीको हार्दिक शुभकामनाएं !
आशा सक्सेना
25 दिसंबर, 2017
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