20 मार्च, 2018

हाईकू (परीक्षा)









                                                                 
   
                                                                      १-कब क्यों कहाँ    
प्रश्न अनेको यहाँ
न मिले हल

२-बुद्धि चाहती
पर मन न लगे
कैसे हो हल

३-है क्या जरूरी
सब कुछ हल हो
न किया तो क्या

४-प्रश्न ही प्रश्न
स्वप्न में दीखते
उत्तर नहीं

५-मन की पीर
पीड़ित ही जानता
और न कोई


आशा

17 मार्च, 2018

जीवन की परिभाषा



कभी जीने की आशा
कभी मन की निराशा
कभी खुशियों की धूप
कभी हकीकत की छाँव  
कहीं कुछ खो कर
 पाने की आशा
शायद यही है
जीवन की परिभाषा
मुट्ठी भर खुशियों
गाडी भर झमेले
लेलूं  मैं किसे पहले
सोचने  का  समय कहाँ
यही है फलसफा जिन्दगी का
देने वाला एक
लेने वाले अनेक
जो झोली भर ले आया
अधिक पाने की लालसा में
  थैली फटी  सब व्यर्थ में गवाया
क्या पाया क्या गवाया
है यही गणित जीवन का |

आशा




14 मार्च, 2018

उम्मीद

चित्र में ये शामिल हो सकता है: 1 व्यक्ति, मुस्कुराते हुए, खड़े रहना, बैठे हैं और बच्चा
आज की दुनिया टिकी है 
प्रगति के सोच पर
नन्हीं  सी  आशा पर
उसके विस्तार पर
रहता है हर मन में
एक छोटा सा बालक
जब भी आगे  चलना सीखता है
 असफल होता है पर निराश नहीं
दो कदम आगे बढ़ते ही
आँखों में  आ जाती चमक 
 उत्साह कुलाचें भरता है
प्रोत्साहन के दो शब्द
उसमें  भर देते हैं जोश
पर हार उसके मन को
 कर देती है हताश 
 वह कई कई बार
भर कर नेत्रों में जल
कभी गिरता है उठता है
नकारात्मक विचार मन में 
फिर से किये यत्न में
 भी सफल नहीं  हो पाता
तब नन्हीं  सी  आशा की किरण
दबी कहीं किसी कोने में उभरती 
 हर व्यक्ति में उठती पूरी शिद्दत से
आगे बढ़ने की ललक लिए
फिर से किये यत्न में निराश होता
सोच  हो यदि सकारात्मक
क्या कठिन है इसे करना
सफलता उसके कदम चूमेंगी
है यही मूलमंत्र
उन्नति की राह  का
आकांक्षा पर दुनिया टिकी है
यही सोच मेरी है|
 आशा







13 मार्च, 2018

हाइकू

१-है मन मेरा
सरिता जल जैसा
उर्म्मी उठी

२-माता व् पिता
दो पहिये गाडीके
चलते चलें

३-उमंग भरी
है मन की साधना
सब से खरी

४-होली के रंग
खेले प्रियतम से
उदासी मिटी

07 मार्च, 2018

फेरे



पुष्प की सुरभि से 
हुआ भ्रमर आकर्षित
 पहले लगाते चक्कर पर चक्कर
तब कहीं पुष्प का 
बंधन होता प्रगाढ़ 
है महत्व फेरों का 
जन्म से अंत तक 
पहले बालक मां के
आसपास घूमता 
चक्कर लगाता व रिझाता
जब तक वह गोद में न ले 
नहीं तो रूठा बना रहता 
जब बचपन समाप्त होता
युवा वय को प्राप्त होता 
फेरों के संपन्न हुए बिना
विवाह अधूरा  रहता 
हर फेरा बंधा किसी वचन से 
तभी  वादा खिलाफी 
बाधक होती सफल विवाह में 
तुलसी आँवला बरगद पीपल 
पूजे जाते समय-समय पर 
फिर परिक्रमा लोग देते 
मनोकामना पूर्ती पर 
 परिक्रमा देते  लोग
 प्रभु तेरे चारों ओर
तेरा हाथ हो सब के ऊपर
सृष्टि में हर जीव का
होता चक्र निर्धारित
दिन के बाद रात का आगमन 
ग्रह उपग्रह करते फेरे 
अगर भटक जाएं 
तब न जाने क्या हो ?
जन्म मृत्यु भी किसी के 
जीवन चक्र में बँधे  हैं 
हैं प्रकृति के नियंता 
सुचारू सृष्टी संचालन के लिए 
खुद के बनाए नियमों से बँधे हैं
जलचर थलचर नभचर
सभी एक दूसरे पर आश्रित हैं
अपने जीवन के लिए |



आशा























04 मार्च, 2018

हाईकू

१-भीगा मौसम 
पर वाली चींटियाँ 
घर बाहर 

२-गाय  भीगी सी
 बैठी सड़क पर
मार जल की

३-ख़ुशी न हुई
क्रोध बहुत आया
गुरूर देख

४-डर  समाया
 मनवा  में अगर
नहीं जाएगा

५-प्राण पखेरू
उड़  चले व्योम में
दर खोजते

६-होली के रंग
खेले प्रियतम से 
उदासी कम

7-मेरी बेटी
है फूल सी कौमल
नजरार ना

८-मेरी सहेली
समय सहायक
सब से स्नेही 
आशा

27 फ़रवरी, 2018

क्यूं हो उदास


क्यूं हो उदास

सांता क्यूं हो उदास आज 
कुछ थके थके से हो 
है यह प्रभाव मौसम का 
या बढ़ती हुई उम्र का
अरे तुम्हारा थैला भी 
पहले से छोटा है 
मंहगाई के आलम  में
 क्या उपहारों का टोटा है
मनोभाव भी यहाँ 
लोगों के बदलने लगे हैं 
प्रेम प्यार दुलार सभी
धन से तुलने लगे हैं
मंहगाई का है यह प्रभाव 
या हुआ आस्था का अभाव 
न जाने कितने सवाल 
मन में उठने लगे हैं
कहाँ गया वह प्रेमभाव 
क्यूं बढ़ने लगा है अलगाव 
भाई भाई से दूर हो रहे 
अपने आप में सिमटने लगे 
क्या तुम पर भी हुआ है वार 
आज पनपते अलगाव का 
या है केवल मन का भ्रम 
या है मंहगाई का प्रभाव 
पर मन बार बार कहता है 
हैप्पी क्रिसमस मेरी क्रिसमस
आज के इस दौर में
खुशियाँ बांटे मनाएं क्रिसमस
इस कठिनाई के दौर में
तुम आये यही बहुत है 
प्यारा सा तोहफा लाए 
मेरे लिए यही अमूल्य  है |
आशा