20 मार्च, 2018
17 मार्च, 2018
जीवन की परिभाषा
कभी जीने की आशा
कभी मन की निराशा
कभी खुशियों की धूप
कभी हकीकत की छाँव
कहीं कुछ खो कर
पाने की आशा
शायद यही है
जीवन की परिभाषा
मुट्ठी भर खुशियों
गाडी भर झमेले
लेलूं मैं किसे पहले
सोचने का समय कहाँ
यही है फलसफा जिन्दगी का
देने वाला एक
लेने वाले अनेक
जो झोली भर ले आया
अधिक पाने की लालसा में
थैली फटी सब व्यर्थ में गवाया
क्या पाया क्या गवाया
है यही गणित जीवन का |
आशा
14 मार्च, 2018
उम्मीद
आज की दुनिया टिकी है
प्रगति के सोच पर
नन्हीं सी आशा पर
उसके विस्तार पर
रहता है हर मन में
एक छोटा सा बालक
जब भी आगे चलना सीखता है
असफल होता है पर निराश नहीं
दो कदम आगे बढ़ते ही
आँखों में आ जाती चमक
उत्साह कुलाचें भरता है
प्रोत्साहन के दो शब्द
उसमें भर देते हैं जोश
पर हार उसके मन को
कर देती है हताश
वह कई कई बार
वह कई कई बार
भर कर नेत्रों में जल
कभी गिरता है उठता है
नकारात्मक विचार मन में
फिर से किये यत्न में
भी सफल नहीं हो पाता
तब नन्हीं सी आशा की किरण
दबी कहीं किसी कोने में उभरती
दबी कहीं किसी कोने में उभरती
हर व्यक्ति में उठती पूरी शिद्दत से
आगे बढ़ने की ललक लिए
फिर से किये यत्न में निराश होता सोच हो यदि सकारात्मक
क्या कठिन है इसे करना
सफलता उसके कदम चूमेंगी
है यही मूलमंत्र
उन्नति की राह का
आकांक्षा पर दुनिया टिकी है
यही सोच मेरी है|
यही सोच मेरी है|
आशा
13 मार्च, 2018
हाइकू
१-है मन मेरा
सरिता जल जैसा
उर्म्मी उठी
२-माता व् पिता
दो पहिये गाडीके
चलते चलें
३-उमंग भरी
है मन की साधना
सब से खरी
४-होली के रंग
खेले प्रियतम से
उदासी मिटी
सरिता जल जैसा
उर्म्मी उठी
२-माता व् पिता
दो पहिये गाडीके
चलते चलें
३-उमंग भरी
है मन की साधना
सब से खरी
४-होली के रंग
खेले प्रियतम से
उदासी मिटी
07 मार्च, 2018
फेरे
पुष्प की सुरभि से
हुआ भ्रमर आकर्षित
पहले लगाते चक्कर पर चक्कर
तब कहीं पुष्प का
बंधन होता प्रगाढ़
है महत्व फेरों का
जन्म से अंत तक
पहले बालक मां के
आसपास घूमता
चक्कर लगाता व रिझाता
जब तक वह गोद में न ले
नहीं तो रूठा बना रहता
जब बचपन समाप्त होता
युवा वय को प्राप्त होता
फेरों के संपन्न हुए बिना
विवाह अधूरा रहता
हर फेरा बंधा किसी वचन से
तभी वादा खिलाफी
बाधक होती सफल विवाह में
तुलसी आँवला बरगद पीपल
पूजे जाते समय-समय पर
फिर परिक्रमा लोग देते
मनोकामना पूर्ती पर
परिक्रमा देते लोग
प्रभु तेरे चारों ओर
तेरा हाथ हो सब के ऊपर
सृष्टि में हर जीव का
होता चक्र निर्धारित
दिन के बाद रात का आगमन
ग्रह उपग्रह करते फेरे
अगर भटक जाएं
तब न जाने क्या हो ?
जन्म मृत्यु भी किसी के
जीवन चक्र में बँधे हैं
हैं प्रकृति के नियंता
सुचारू सृष्टी संचालन के लिए
खुद के बनाए नियमों से बँधे हैं
जलचर थलचर नभचर
सभी एक दूसरे पर आश्रित हैं
अपने जीवन के लिए |
आशा
जलचर थलचर नभचर
सभी एक दूसरे पर आश्रित हैं
अपने जीवन के लिए |
आशा
04 मार्च, 2018
हाईकू
१-भीगा मौसम
पर वाली चींटियाँ
घर बाहर
२-गाय भीगी सी
बैठी सड़क पर
मार जल की
३-ख़ुशी न हुई
क्रोध बहुत आया
गुरूर देख
४-डर समाया
मनवा में अगर
नहीं जाएगा
५-प्राण पखेरू
उड़ चले व्योम में
दर खोजते
बैठी सड़क पर
मार जल की
३-ख़ुशी न हुई
क्रोध बहुत आया
गुरूर देख
४-डर समाया
मनवा में अगर
नहीं जाएगा
५-प्राण पखेरू
उड़ चले व्योम में
दर खोजते
६-होली के रंग
खेले प्रियतम से
उदासी कम
7-मेरी बेटी
है फूल सी कौमल
नजरार ना
८-मेरी सहेली
समय सहायक
सब से स्नेही
आशा
खेले प्रियतम से
उदासी कम
7-मेरी बेटी
है फूल सी कौमल
नजरार ना
८-मेरी सहेली
समय सहायक
सब से स्नेही
आशा
27 फ़रवरी, 2018
क्यूं हो उदास
क्यूं हो उदास
सांता क्यूं हो उदास आज
कुछ थके थके से हो
है यह प्रभाव मौसम का
या बढ़ती हुई उम्र का
अरे तुम्हारा थैला भी
पहले से छोटा है
मंहगाई के आलम में
क्या उपहारों का टोटा है
मनोभाव भी यहाँ
लोगों के बदलने लगे हैं
प्रेम प्यार दुलार सभी
धन से तुलने लगे हैं
मंहगाई का है यह प्रभाव
या हुआ आस्था का अभाव
न जाने कितने सवाल
मन में उठने लगे हैं
कहाँ गया वह प्रेमभाव
क्यूं बढ़ने लगा है अलगाव
भाई भाई से दूर हो रहे
अपने आप में सिमटने लगे
क्या तुम पर भी हुआ है वार
आज पनपते अलगाव का
या है केवल मन का भ्रम
या है मंहगाई का प्रभाव
पर मन बार बार कहता है
हैप्पी क्रिसमस मेरी क्रिसमस
आज के इस दौर में
खुशियाँ बांटे मनाएं क्रिसमस
आज के इस दौर में
खुशियाँ बांटे मनाएं क्रिसमस
इस कठिनाई के दौर में
तुम आये यही बहुत है
प्यारा सा तोहफा लाए
मेरे लिए यही अमूल्य है |
आशा
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