बाल्यावस्था में प्यार का अर्थ
नहीं जानते थे
पर माँ का स्पर्श पहचानते थे
वही उन्हें सुकून देता था
दुनिया की सारी दौलत
बाहों में समेत लेता था
वय बढ़ी मिले मित्र बहुतेरे
उनसे बढ़ा लगाव अधिक ही
अपने से प्रिय अधिक वे लगाने
लगे
तब घर के लोगों से अधिक
हुआ व्यवहार उनसे |
नव यौवन ने सारी सीमाएं तोड़ी
समान वय भी पीछे छूटी
जिन्दगी फिर किसी के
प्यार में पागल हुई है|
पर वे मित्र या बहन भाई नहीं
हैं
है अलग सा रिश्ता जिसे
अभी तक परखा नहीं है|
फिर भी आकर्षण बहुत है
क्या है वह नहीं जानते ?
प्यार प्रेम में बदल गया कब
नहीं पहचानते |
आनेवाले समय में क्या होगा
होगी प्रीत किससे
बैसाखी से या बिस्तर से
किसको पता |
आशा