बच्चों की शरारतों की
बचपन की प्यारी बाते
जब भी याद आती हैं
हंसने के लिए काफी हैं|
जब अति हो जाती है
गुस्सा बहुत आता है
पर भोली सूरत देख कर
वह कहीं खो जाता है |
जब भी एक पर करते क्रोध
दूसरा बचाने आ जाता
अरे छोड़ो मां अभी बच्चा है
कहकर उसे बचा ले जाता |
फिर बाहर जा कर हँसी के मारे
लोटपोट होता जाता
कहता मां भी कितनी भोली है
जल्दी से पट जाती है |
शरारत और बचपन का
आपस में रिश्ता है अनुपम
दौनों एक दूसरे के अनुपूरक
अधूरे एक दूसरे के बिना |
आशा
आशा