आया है पैगाम
मन का मोर नाच रहा
चंग की थाप पर
जिन्दगी चैन से गुजरेगी
गिले शिकवे दूर होंगे
प्यार की शहनाई बजेगी
हर समय हर बात पर
यह पैगाम नहीं
है आवाज सच्चे दिल की
जिससे भागना सही नहीं
अपने मन की आवाज पर
जोर दे करना है स्वीकार
उस पैगाम की भाषा पर
एलान करना है अमल करना है
केवल व्यर्थ यूँ ही नहीं
बेमतलब शोर करना है
तभी अमन का विगुल बजेगा
सन्देश का मकसद
सफल हो कर रहेगा |
आशा