28 जनवरी, 2020

कर्तव्य निष्ठ


                                   बहुत कुछ हो गया है संपन्न
पर अंत नहीं हुआ  है
जब तक कार्य रहेगा शेष
मेरा अवधान न भटकेगा
अंतिम सांस तक अडिग रहूँगा
हूँ कर्तव्यपरायण निष्ठावान  
ना तो  मार्ग से भटकूँगा
 ना ही  कदम पीछे लूंगा
मैंने पैरों को जमा लिया है
मन ने सोच लिया है
पहली  पंक्ति में आने का
उस पर ही अडिग  रह कर
अपना मार्ग प्रशस्त करूगा
राह को खोज लिया है
मार्ग से विचलित न  हो कर
गंतव्य तक  पहुँच कर
आखरी  सांस लूंगा
हूँ अंत से दूर अभी नहीं मरूंगा

आशा













27 जनवरी, 2020

हाईकू


१- जय जवान 
जय हिंदुस्तान की 
गणतंत्र है 
२-प्यारा भारत 
तिरंगा फहराया 
 गणतंत्र था 
३-मन मोहक 
नजारा समाया है
गणतंत्र का
४-स्वतंत्र हिन्द
तिरंगा पहचान 
हिन्द की शान  
५-जंग से दूर 
भाईचारे से प्यार  
देश महान
आशा

23 जनवरी, 2020

भक्ति




भक्ति में है शक्ति अपार
 है अनोखी वकत उसकी
यदि सच्चे मन से की जाती
कोई न कर पाता बराबरी उसकी |
भक्त की है प्रेरणा वही
जब पूरी श्रद्धा से  की जाती
वह सरलता से भव सागर पार कर पाता
जो चाहत है मन में उस तक हाथ पहुँच पाता| 
यदि भक्ति नहीं होती
 भक्त की कद्र कहाँ होती 
सही अर्थों में प्रभु को भजता कौन 
सत्य के मार्ग पर चलता कौन |
आज के सन्दर्भ में सभी
 अनजाने में गलत मार्ग चुन लेते
  भगवान तक पहुँचना चाहते
गंतव्य तक यदि ना पहुंचते दोष भक्ति को देते |
                            आशा

22 जनवरी, 2020

गणतंत्र दिवस

हुए स्वतंत्र सन सैतालिस में
सन पचास में गणतंत्र बना
स्वतंत्र देश में पालनार्थ
संविधान लागू हुआ |
वह दिन था छ्ब्बीस जनवरी
 इस दिन को याद किया जाता है
जश्न मनाया जाता है
तिरंगा फहराया जाता है |
हम मनाते हर वर्ष
गणतंत्र  दिवस उत्साह से
देश भक्ति के गीत गाते
झंडा फहराते बड़ी शान से |
सेना के तीनों अंग दिल्ली में
गुजरते मंच के सामने से
सलामी तिरंगे को देते
सर उठा अभिमान से |
कदम से कदम मिला कर चलते
देश भक्ति के गीत गाते
तत्पर दिखते रणबाकुरे
देश हित में आहुति के लिए |
झांकियां विविध प्रदेशों की
इस उत्सव में भाग लेतीं
नयनाभिराम दृश्य होते
कुछ न कुछ सन्देश देते |
स्कूली बच्चे छोटे बड़े
तरह तरह के करतब करते
नाचते थिरकते गुजरते
तिरंगे को प्रणाम करते |
हम स्वतंत्र देश के वासी 
रक्षा  करते इसकी 
हो अजर अमर गणतंत्र हमारा 
यही कामना रहती |
देश हमारा सबसे प्यारा 
सारे जग से न्यारा  
गर्व से सर उन्नत होता
जान कर कर्तव्य हमारा |
आशा

21 जनवरी, 2020

हाथ में माचिस की तीली


 

  हाथ में माचिस की तीली लिए 
 बच्चा खेल रहा आँगन में
अरे यह किसने दी है
इसके हाथ में  |
 आग लगा देती है 
छोटी सी चिगारी 
हाथ में माचिस की तीली  हो 
और यदि उसे जलाएं
छोटी सी लौ  निकलती है उससे
कुछ क्षण भी नहीं लगते
 सब ख़ाक होने में |
ऐसे ही मन की उथलपुथल
 स्थिर नहीं रख पाती है
भावनाओं का उतार चढ़ाव
 सर चढ़ कर बोलता है|
तभी  भावनात्मक चिंगारी
 आग लगाती है
लोगों की भीड़ बदल जाती
 भीड़ तंत्र में|
जब जीवन में अलगाव की
अधिकता होती  है
सब कुछ जलकर
 भस्म हो जाता है
 एक ही झटके में |

आशा