विश्व पूरा बटा है अनगिनत देशों में
सरहदों ने अलग किया है एक दूसरे से सब को|
अधिकाँश देशों में है तनातनी कहीं नहीं है शान्ति
बैठे है सब दहकते अंगारों पर |
अवधारणा वसुधैव कुटुम्बकम की रह गई पुस्तकों में सिमट कर
पड़ोसी देश भी भूले सद्भाव भाईचारा आनंद आपस में मिलजुल कर रहने
का |
सरहदों ने बांटी धरती जल और आकाश हर देश के लिए सरहद की रेखा
खिची है
भूल गए हैं कोई
नहीं ले जाता एक इंच भी जमीन खुद के साथ
यूं तो कहा जाता है अच्छे सम्बन्ध होने पर पड़ोसी ही सबसे पहले काम आते
हैं|
हर समय होते हैं मददगार पर अब ऐसा प्रतीत नहीं
होता अब
छोटे से जमीन के टुकड़ों के
लिए आपसी सम्बन्ध भूल कर
मरने मारने को तत्पर रहते सदा पड़ोसी देश |
कितना खून खराबा होता है सरहद पर
सीमा सुरक्षा में दिन रात जुटे रहते शूरवीर अनेक
अपनी सरहद को महफूज रखने के लिए
कठिन परिस्थितियों में भी
रहरे तत्पर|
देश को परतंत्र होने से बचाने के लिए
अपनी जान तक को दाव पर लगा देते हैं
उनका है एक ही लक्ष्य देश हित है सर्वोपरी
बहुत गर्व होता है देश को उन शूरवीरों पर |
हैं धन्य वे वीर जिन ने चुना कार्य देश की रक्षा का
हैं धन्य वे वीर जिन ने चुना कार्य देश की रक्षा का
धन्य हैं वे माताएं जिन्होंने जन्मा ऐसे सपूतों को |
आशा