आसमान में घिर आए
काले मेघ लगे सुहावन
मंद बेग से हवा चली
वर्षा की झड़ी लगी
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आसपास की बगिया की
सोंधी महक मिट्टी की आई
पौधों ने किया स्वागत हरियाली का
दिल का कौना कौना हरषाने लगी
शिद्दत से रहा था इंतज़ार
सावन के आने का
बागों में हरियाली छाने का
झूले पर पैंग बढाने का |
सारी सहेलियां एकत्र हुई
ढोलक बजने लगी अंगना में
कजरी गीत गाने लगीं समूह में
स्वरों की गूँज उठी व्योम में |
मोरों की थिरकन दिखी बागों में
पपीहे की स्वर लहरी सुनी
कोयल की मधुर तान भी पीछें न रही
पूरा पर्यावरण हुआ संगीतमय |
थी एक विरहण ही उदास
सड़क पर टकटकी लगा देखती
बैठी बात जोहती
अपने प्रियतम के आगमन की |
हलकी सी आहट से भी हो बेचैन
निगाहें टिकी रहतीं दरवाजे पर
सोचती कारण बिलंब का
एक कागा आ बैठा दीवार पर |
दीवार पर बैठे कागा की
आवाज सुनी जब
उसके आगमन की पूर्व सूचना जान
खुशी समेट न पाती |
हरी भरी घरती सावन में
जीवन्त नजर आती
मन में खुशी न समाती
प्रियतम के आने की |
आशा
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