हे हंस वाहिनी
श्वेत वसन धारणी
कमलासन पर
तुम्ही विराजत |
तुम ही हो भारती
अदभुद है छवि तुम्हारी
वीणा पुस्तक धारणी
विध्या की देवी सरस्वति |
ज्ञान दायनी मां शारदे
दो सबको ज्ञान दान
हो सब का उपकार
नमन तुम्हें कमलासनी |
सरस्वती जिसकी
जिव्हा पर विराजती
मृदु भाषण से सदा
जीवन सफल होता उसका |
ज्ञान धन है ही ऐसा
कभी क्षय न होता जिसका
हैं सबसे धनवान वही
जो है सरस्वति का उपासक |
आशा